जून में ग्रहो का परिवर्तन - ग्रह कब अपनी राशि बदलेंगे 2023 में
- Saral Jyotish Upay
ज्योतिष में गोचर को महत्वपूर्ण माना गया है. ग्रहों के गोचर से सभी राशियां प्रभावित होती हैं, जिसका अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
गोचर या ग्रहों का गोचर ज्योतिष में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि ज्योतिष में बताई विभिन्न पद्धतियों में ग्रहों का गोचर सबसे महत्वपूर्ण होता है. जब कभी भी किसी व्यक्ति का जन्म होता है, उस समय में ग्रहों की विभिन्न राशियों में जो स्थिति होती है, उसके अनुसार व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक प्रकार के अच्छे और बुरे परिणामों की प्राप्ति होती है.
इसलिए जब ग्रह गोचर करते हैं तो उनका एक राशि से दूसरी राशि में जाने की प्रकिया को महत्वपूर्ण माना जाता है. यह ग्रहों का गोचर या राशि परिवर्तन हमारे जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. कुछ स्थिति में यह बहुत अच्छे परिणाम वाले साबित होते हैं तो कभी यह बहुत बुरा भी हो सकता है. हमारे लिए किस ग्रह का गोचर अच्छा है या बुरा यह योग्य ज्योतिषी ही आपको बता सकता है.
ग्रह सदैव गतिशील रहते हैं इसलिए कभी एक राशि में नहीं रहते. चंद्रमा सबसे जल्दी राशि बदलता है तो शनि और बृहस्पति जैसे ग्रहों को राशि बदलने में बहुत लंबा समय लग जाता है. शनि ग्रह को सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है, क्योंकि यह लगभग ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं. वहीं बृहस्पति राशि बदलने में लगभग 12 से 13 महीने का समय लग जाता है.
सबसे तेज गति से चलने वाले चंद्रमा केवल सवा 2 दिन के आसपास राशि बदल देते हैं. चंद्रमा की गति सबसे तेज मानी गई है. वहीं सूर्य एक महीना तो बुध 14 दिन और शुक्र 23 दिन के आसपास एक राशि में रहकर दूसरी राशि में जाते हैं और मंगल जैसे ग्रह लगभग 45 दिन का समय लेते हैं. राहु और केतु का गोचर 18 महीने के आसपास होता है. इस तरह सभी ग्रह अलग-अलग समयावधि में गोचर करते रहते हैं.
खास बात यह है कि सूर्य और चंद्रमा कभी वक्री अवस्था में नहीं होते और राहु और केतु हमेशा वक्री होते हैं. इसके अलावा शेष जितने भी ग्रह हैं जैसे कि बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि, ये कभी वक्री हो जाते हैं और कभी मार्गी रहते हैं. साल 2023 में भी ग्रहों का गोचर अलग-अलग तारीख और अलग-अलग राशियों में होगा इसलिए यह जान लेना जरूरी है कि 2023 में विभिन्न ग्रहों का गोचर कब औस किस होगा.
सूर्य : सूर्यदेव 15 मई 2023 से वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। अब वे 15 जून 2023 की शाम 18:07 बजे तक वृषभ में रहने के बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद 16 जुलाई 2023 की प्रातः 4:59 बजे चंद्रमा के आधिपत्य वाली कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
मंगल : मंगल ग्रह 10 मई 2023 की दोपहर 13:44 बजे से कर्क राशि में भ्रमण कर रहे हैं और अब वे जून को छोड़कर सीधे 1 जुलाई 2023 की प्रातः 1:52 बजे सिंह राशि में प्रवेश कर जाएगा।
बुध : बुध ग्रह इस वर्ष मेष राशि में हैं और 21 अप्रैल को वक्री हो गए थे और इसके बाद 15 मई 2023 को प्रातः 8:30 पर वक्री अवस्था से निकलकर मार्गी अवस्था में हुए थे। और अब 7 जून 2023 को शाम 7 बजकर 40 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। 19 जून को इसी राशि में अस्त होने के बाद बुध ग्रह 24 जून 2023 की दोपहर 12:35 बजे मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जहां वे 8 जुलाई 2023 की दोपहर 12:05 तक रहेंगे और उसके बाद चंद्रमा के स्वामित्व वाली कर्क राशि में गोचर करेंगे।
गुरु : बृहस्पति ग्रह ने 22 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश किया था और 27 अप्रैल को वो अस्त अवस्था से निकलकर उदय हुए थे। 28 मार्च को मीन राशि में अस्त हो गए थे। यह ग्रह 4 सितंबर को शाम 4:58 पर वक्री अवस्था में आएंगे और 31 दिसंबर 2023 को प्रातः काल 7:08 पर वक्री अवस्था से बाहर निकलेंगे।
शुक्र : शुक्र ग्रह का मिथुन राशि में 2 मई 2023 की दोपहर 13:46 बजे गोचर होगा, जहां यह 30 मई 2023 की शाम 19:39 बजे तक रहने के बाद कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जहां वे 7 जुलाई 2023 की प्रातः 3:59 बजे तक रहेंगे और फिर सिंह राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
शनि : शनि ग्रह कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। 30 जनवरी को यह कुंभ राशि में अस्त हो गया था। अब शनि का कुंभ राशि में उदय 06 मार्च 2023 को हुआ था। शनि ग्रह ने 17 जनवरी 2023 को शाम के समय 5:04 पर कुंभ राशि में प्रवेश किया था। यह ग्रह 17 जून 2023 को रात्रि 10:48 बजे से वक्री हो जाएंगे और 4 नवंबर 2023 को प्रातः काल 8:26 पर एक बार फिर से मार्गी अवस्था में आ जाएंगे।
राहु और केतु : राहु ग्रह 30 अक्टूबर की दोपहर 2:13 बजे अपनी वक्री चाल चलते हुए मेष राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। केतु ग्रह इस दौरान तुला से निकलकर कन्या में प्रवेश करेगा।