कुंडली में शुक्र मंगल योग के क्या होते हैं प्रभाव - Saral Jyotish Upay
मंगल-शुक्र युति ज्योतिष की एक बहुत ही विवादस्पद युति है। वो इसलिए कि ज्योतिष में शुक्र प्रेम व आकर्षण है तो मंगल शरीर व अंदरूनी ऊर्जा। जब इन दोनों ग्रहों की युति या मिलान होगा तो व्यक्ति में शरीर के प्रति आकर्षण या यूं कहिये कि कामुकता बढ़ेगी। आज के आधुनिक युग में जितनी चर्चा इस योग की जाती है उतनी शायद अन्य किसी के योग की की जाती होगी। वर्तमान समय में भक्ति के स्थान पर काम भावना और भोग का बोल-बाला है। हर व्यक्ति आजकल अच्छे भोग विलास का आनन्द पाना चाहता है और यह योग इसी कामना को पूर्ण करता है।
शुक्र दैत्य गुरु है तो मंगल भूमि पुत्र है शुक्र गुरु के बाद सबसे शुभ ग्रह और मंगल क्रूर प्रवृत्ति का ग्रह।शुक्र मंगल युति दृष्टि सम्बन्ध को एक विषय पर बहुत अशुभ मान लिया गया है कि यह शुक्र मंगल का सम्बन्ध चरित्र दोष देता है।
कई जातक नेट पर शुक्र मंगल युति का फल सर्च करते है या अधिकतर किताबो में पढ़कर शुक्र मंगल की युति को सबसे जातक के चरित्र पर लेकर आते कि अमुक व्यक्ति की कुंडली में मंगल शुक्र युति है तो जातक की कुंडली में चरित्र दोष है ऐसा हर स्थिति में नही होता क्योंकि चरित्र दोष के लिए मंगल शुक्र युति होने से नही लग्न लग्नेश चन्द्रमा जो मन है का विचार भी किया जाता है फिर मंगल शुक्र का सम्बन्ध किन भावो से है यह बात भी इस विषय में महत्वपूर्ण होती है।
लग्न लग्नेश पर शुभ ग्रह गुरु बुध की दृष्टि हो, लग्नेश लग्न में पाप रहित हो, अस्त आदि न हो, लग्नेश केंद्र या त्रिकोण भाव में साथ ही लग्न भी शुभ प्रभाव में हो तो कोई चरित्रदोष नही होता। यदि गुरु का प्रभाव बुद्धि, मन, तन पर है तो कोई दोष नही लगेगा।
अब मंगल शुक्र के सम्बन्ध को क्यों चरित्र दोष से जोड़ दिया जाता है इस पर बात करते है मंगल शारीरिक ऊर्जा, साहस, शरीर में दौड़ने वाला खून मास पेशियों का कारक है और शुक्र काम, वासना आदि का कारक है जब इन दोनों का आपस में सम्वन्ध होता है तब शुक्र मंगल सम्बंधित कारक शरीर में वासना का समावेश ज्यादा हो जाता है।
लेकिन यह ज्यादा प्रभावी तब ही होता है तब लग्न लग्नेश, सप्तम भाव सप्तमेश, द्वादश भाव, द्वादशेश पर शुक्र मंगल का प्रभाव हो।इस स्थिति के साथ भी यदि लग्न लग्नेश गुरु बुध जैसे ग्रहो से युक्त द्रष्ट होने से जातक स्वाभिमानी होता है।
इस कारण शुक्र मंगल युति को चरित्र दोष का नाम दे दिया जाता है जो हमेशा ठीक नही होता क्योंकि किसी भी योग आदि की स्थिति का आकलन करने के लिए उस विषय से सम्बंधित सभी पहलुओ को देखना चाहिए न कि एक ही पहलू को।शुक्र मंगल सम्बन्ध वाले जातक में पुरुषत्व बल ज्यादा होता है।
शुक्र मंगल युति के कुछ शुभ प्रभाव
शुक्र मंगल का सम्बन्ध जातक को सुंदर बनाता है लग्न लग्नेश पर शुक्र मंगल का प्रभाव जातक को मजबूत शरीर और अच्छा स्वास्थ्य देता है।शुक्र मंगल युति रोजगार दशम भाव, सप्तम भाव(सप्तम भाव सम्बंधित व्यवसाय योग) होने से कपड़ो का व्यापार, एलेक्ट्रोनिक चीजो का व्यापार, कॉस्मेटिक आदि जैसे काम करने से लाभ मिलता है। जातक अपने रोजगार में मंगल युति युति से जोशीला और मेहनती होता है।इस तरह शुक्र मंगल सम्बन्ध शुभ परिणाम भी देता है।कर्क, सिंह, कुम्भ, लग्न में शुक्र मंगल सम्बन्ध केंद्र त्रिकोण में बली होकर होने से राजयोग कारक फल मिलते है।
शुक्र-मंगल युति का राशियों पर प्रभाव
मंगल शुक्र युति/Venus Mars Conjunction व्यक्ति में काम भावना को प्रबल करता है। शुक्र ज्योतिष में हर प्रकार के भौतिक सुख का कारक है और मुख्य रूप से काम-भावना और प्रेम को दर्शाता है। मंगल, शरीर की उत्तेजना है और जब इन दोनों कारकों का मिलान न हो तो, काम-सुख का सम्पूर्ण आनन्द नहीं लिया जा सकता।
शुक्र, स्त्री को व मंगल पुरुष तत्व को दर्शाता है। पुरुष की कुंडली में शुक्र, उसकी पत्नी को भी दिखाता है और यदि यह योग/Yoga पुरुष की कुंडली में शुभ स्थिति में बने तो जातक अपनी पत्नी व अन्य स्त्री वर्ग से विशेष सुख प्राप्त करता है। जबकि स्त्री की कुंडली में यह पुरुष मित्रों का सुख देता है और स्त्री की कुंडली में बना यह योग पति-पत्नी के विचारों में भेद करवाता है। दोनों में आपसी तनाव की स्थिति पैदा क्योंकि मंगल अंहकार का भी कारक ग्रह है और ऐसे में महिला जातक सामान्य से अधिक अहंकारी हो जाती है।
शुक्र वीर्य का कारक ग्रह है और मंगल हमारे शरीर में उपस्थित रक्त का। इन दोनों की युति पुरुषों में वीर्य की कमी या उसकी अधिकता उत्पन्न करती।
यदि यह युति कुंडली में दुष्फल दे रही हो तो जातक चरित्र हीन बन जाता है। यदि इनकी युति लग्न, सातवें या ग्यारहवें भाव में हो और वर्ग कुंडली डी-9 में भी इनका सम्बन्ध बन रहा हो तो जातक के एक से अधिक सम्बन्ध बनने के अवसर बहुत अधिक बन जाते हैं।
यदि इन दोनों की युति पर चन्द्रमा या गुरु की दृष्टि हो तो व्यक्ति को उत्तम लक्ष्मी प्राप्त होती है। इन दोनों के साथ यदि चन्द्रमा भी मिल जाये तो जातक को अंत्यंत चंचल प्रवृति का हो जाता है और पर स्त्री-पुरुष की तरफ बहुत जल्दी आकर्षित होता है।
मंगल शुक्र युति/Shukra Mangal Yoga में बुद्ध या फिर पापी ग्रहों की उपस्थिति जैसे शनि, राहू या केतु हो तो जातक अवैध संबंधों के कारण कई बार बदनामी भी झेलता है।
ज्योतिष में, शुक्र पत्नी व मंगल छोटा भाई होता है और खराब स्थिति में होने पर यह देवर-भाभी के बीच अवैध सम्बन्ध बनाता है।शरीर में शुक्र-मंगल युति मासिक धर्म की अनियमितता या अत्यधिक रक्त बहाव जैसे की नकसीर आदि की समस्या या चोट लगने पर खून जल्दी से न रुकना आदि की समस्या भी देती है। पुरुषों में ये अत्याधिक कामुक स्वभाव देती है जिसकी वजह से जातक समय से पहले अपनी आंतरिक ऊर्जा ख़तम कर शारीरिक कमजोरी का सामना करता है। जो बाद में वीर्य की कमी व संतान सुख की कमी के रूप में प्रकट होता है।
कालपुरुष की कुंडली में मंगल/Mars in Kundli लग्न का स्वामी है और शुक्र कुटुंब, धन और पत्नी के स्थान का मालिक होता है। दूसरा व सातवां भाव मारक भाव भी कहे गए हैं। मंगल लगन के साथ साथ अष्टम भाव का भी मालिक होता है ऐसे में हम समझ सकते है की इन दोनों की युति एक तरफ असीम धन सम्पदा तो दूसरी और संघर्षपूर्ण जीवन भी दे सकता है। यह फल कुंडली में इस बात पर निर्भर करेगा की यह युति किस राशि व किस भाव में बन रही है और अन्य ग्रह इसे किस प्रकार प्रभावित कर रहे हैं।
शुक्र व मंगल व्यक्ति को अत्यंत भौतिकतावादी, विलासप्रिय, शौकीन और आडंबरी बनाते हैं। इन दोनों का मेल यदि शुक्र की राशियों यानि तुला व वृषभ में हो तो शुक्र प्रभावी हो जायेगा और यदि मंगल की राशियों यानि मेष व वृश्चिक में हो तो मंगल अधिक प्रभावी हो जायेगा।
ऐसा ही हमें देखना होगा की योग शुक्र की शत्रु राशि में बना है या मंगल की शत्रु राशियों में। शत्रु राशि में ग्रह कमज़ोर हो जाता है। शुक्र व मंगल के बल का अनुमान लगा कर निम्न फल प्राप्त होंगें।
दोनों ग्रहों में यदि मंगल अधिक प्रभावी हो तो व्यक्ति दुष्कर्मी हो जाता है और अपनी काम वासनाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उसकी बुद्धि पर केवल शारीरिक आकर्षण ही सवार रहता है। वह कामुकता के वश में अत्यधिक रहकर अपने वैवाहिक जीवन व अन्य सुखों का विनाश कर लेता है।
यदि शुक्र प्रभावी हो तो व्यक्ति प्रेम को अधिक महत्व देगा और दैहिक आकर्षण उसके लिए दूसरे स्थान पर रहेगा। वह स्त्रियों को सम्मान देगा व वैवाहिक जीवन में परस्पर प्रेम भावना से सुख को भोगेगा।
यदि शुक्र व मंगल दोनों कुंडली में संतुलित अवस्था में हों तो व्यक्ति के अनेक विपरीत लिंगी मित्र होते हैं पुरुष को ये अधिक स्त्री मित्र तथा स्त्री कीकुंडली/Kundli में संतुलित अवस्था अधिक पुरुष मित्र देती है।
शुक्र मंगल युति का सबसे प्रभावशाली उपाय कौन सा है?
यदि कुंडली मे शुक्र मजबूत है तो व्यक्ति का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रहता है यदि मंगल मजबूत है नीच का है या पाप ग्रहों से दृष्ट है तो जातक अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नही रख पाता, शुक्र मंगल युति का सबसे प्रभावशाली उपाय हनुमान जी के सुंदरकांड, चालीसा व बजरंग बाण का नियमित पाठ करना , उज्जैन जाकर मंगलनाथ मंदिर में विशेष पूजा, दर्शन से काफी हद तक इस युति के प्रभाव की नकरात्मक प्रभाव कम हो जाएंगे। मंगलवार को कन्याओं को बूंदी का प्रसाद वितरित करने से भी इसके दुष्प्रभाव में कमी आती है ।
वैवाहिक जीवन में समस्या आना इस युति का मुख्य प्रभाव है। शुक्र का मंगल या राहु से योग जातक को व्यभिचारी बना देता है। यदि यह गुरु, बुध या चंद्र के नक्षत्र/Nakshatra में न हो, तो जातक अत्यधिक कामुक प्रबल हो जाता है। इस विपरीत परिस्थिति से बचने के लिए निम्न उपाय किये जाने चाहिए
यदि पुरुष राशि लग्न में हो तो गणेश जी की पूजा करें और यदि स्त्री राशि लगन में हो तो देवी दुर्गा की उपासना करे।
3 मुखी और 6 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
अनंत मूल की जड़ धारण करे।
सैनिटरी नैपकिन बांटें। तंदूर पर बनी हुई मीठी रोटी कुतों को डालें